अध्यात्मगाजीपुर

आस्था का केंद्र है असावर स्थित बुढ़वा महादेव मंदिर

करीमुद्दीनपुर ।क्षेत्र के असावर गाँव मे स्थित बुढ़वा महादेव का अति प्राचीन मंदिर लोगों में श्रद्धा और आस्था का केन्द्र बना हुआ है। इस शिवलिंग की उत्तपत्ति जमीन फाड़कर हुई थी जिसकी गिनती अति दुर्लभ शिवलिंगों की जाती है ।महाशिवरात्रि और सावन माह में यहाँ भव्य मेला का आयोजन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ दर्शन पूजन करने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है
गाजीपुर -बलिया जिले की सीमा पर टोंस नदी के किनारे, लट्ठुडीह -रसड़ा मार्ग पर हरदासपुर से दो किलोमीटर पश्चिम दिशा में तथा परसा -तिराहि पुर मार्ग पर सिउरी अमहट से एक किलोमीटर पूरब असावर गांव में बुढ़वा महादेव का भव्य मंदिर स्थित है ।
किंबदन्तियों के अनुसार पहले एक घना जंगल था ।जहाँ चरवाहे अपने पशुओं को चराते थे एक दिन चरवाहे उसी स्थान पर पशुओं को चराते हुए उसी स्थान पर आराम कर रहे थे कि थोड़ी दूर पर जमीन फटकर चमकता हुआ शिवलिंग निकलता दिखाई दिया ।यह बात पूरे क्षेत्र में जंगल की आग की तरह फैल गई ।और लोगों की भारी भीड़ कीर्तन पूजा करने लगी ।लोगों के अनुसार एक समय चोर जो चार की संख्या में थे उस शिवलिंग को रात में खोदने लगे और खोदते खोदते भोर होने लगा ,लेकिन कोई फायदा नही हुआ।चोर निराश होकर भागने लगे तो सभी अंधे हो गए और इर्दगिर्द ही घूमते रहे।गलती का एहसास होने पर चोर शिवलिंग के पास पहुंच कर क्षमा याचना की तब जाकर फिर दिखाई देने लगा और ठीक हो गए। लोगों ने मंदिर बनाने की योजना बनायी तो बाबा ने एक व्यक्ति को स्वप्न दिखाया कि हमारे ऊपर मन्दिर नही बनना चाहिए ।उस व्यक्ति ने सबकों बताया जिसे लोगों ने मांन लिया ।और भगवान शिव खुले आसमान में ही रहे किन्तु करीब तीन साल पहले लोगों के मन में फिर मन्दिर बनाने की की सोचने लगे तबतक एक संत का आगमन और फिर उस स्थान पर एक बृहद यज्ञ का आयोजन किया गया फिर विद्वान ब्राम्हणों से राय ली गई और भगवान शिव की प्रेरणा से प्रेरित होकर भव्य मन्दिर का निर्माण कार्य शुरू किया गया और आज भव्य मंदिर निर्माण कार्य पूरा हो गया है । धर्मशाला का भी निर्माण कर भव्यता दी गई है। यहाँ सावन माह में तथा महाशिवरात्रि पर भव्य मेला का आयोजन किया जाता है। यहाँ काफी दूरदराज से श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन पूजन के लिए आती है। यहाँ श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी होने या पूरी होने के लिए 24तथा 48 घण्टे शुद्व घी का अखण्ड दीप प्रज्वलित करते हैं ।और पूजा अर्चना करते हैं ।

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